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प्रतिज्ञा

sanjeevani
sanjeevani
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मील के पत्थर हैं मुझको पार ही करने पड़ेंगे ,

मंज़िलों के वास्ते कुछ त्याग तो करने पड़ेंगे ,

ख्वाब देखें हैं जहाँ के रास्ते उस ओर के हों ,

देख कर मुझको कदम अब राह पर रखने पड़ेंगे ।


लूट लेती है धरा भी , आसमां भी गाज़ बनता ,

जो बिना खुद को तराशें , रास्तों पर तन के चलता ,

फल लदा हो वृक्ष जो उस भांति सर रखने पड़ेंगे ,

देख कर मुझको कदम अब राह पर रखने पड़ेंगे ।


ये नियति कि मार है कोड़े लगाती ही रहेगी ,

ज़िन्दगी कि राह पर रोड़े लगाती ही रहेगी ,

फिर नदी की धार बन पर्वत तरल करने पड़ेंगे ,

देख कर मुझको कदम अब राह पर रखने पड़ेंगे ।


मील के पत्थर हैं मुझको पार ही करने पड़ेंगे ,

मंज़िलों के वास्ते कुछ त्याग तो करने पड़ेंगे।

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