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चाँद की याद

sanjeevani
sanjeevani
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लुट गयी रात किसी कमसिन सी ,
आसमां पर कोई भी चाँद न था ,
फिर सितारों को आ गया रोना ,
रुंध गयी वो गले की आवाजें ,
देखा जब चाँद को धरती के साइंस दानों ने ,
गुम हुआ अपने घर की नीली अंगनाई से ,
तब हुआ दर्द जगी प्यास उससे मिलने की ,
याद आया कोई था पास मेरे ,
जिसको मई रोज़ ही ठुकराता था,
आज जब रत अमावास की काली आयी है ,
बादलों में छिपा है चाँद मेरा ,
तब मुझे चाँद की याद आयी है………………

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