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जीवन दर्शन

sanjeevani
sanjeevani
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जीवन दर्शन

सुधरने और बिगड़ने का भी सब का वक़्त होता है ,
कोई बचपन की गलती फिर बुढ़ापे में नहीं करता |

जिसने कल तलक झेली हो पर्दों की कमी घर में ,
किसी नंगे बदन को और वो नंगा नहीं करता |

की जिस बच्चे ने आँगन में छिड़ी देखी महाभारत ,
वो बच्चा फिर किसी भी बात पर दंगा नहीं करता |


हो जिसकी ज़िन्दगी में प्यार के रंगों की फुलवारी
वो अपने कैनवस को फिर कभी रंगा नहीं करता |

अगर इंसानियत इंसान में आ जाये तो फिर वो ,
किसी की माँ के आँचल को कभी गन्दा नहीं करता |

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