sanjeevani
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जिसने कल तलक झेली हो पर्दों की कमी घर में ,
किसी नंगे बदन को और वो नंगा नहीं करता |
की जिस बच्चे ने आँगन में छिड़ी देखी महाभारत ,
वो बच्चा फिर किसी भी बात पर दंगा नहीं करता |
हो जिसकी ज़िन्दगी में प्यार के रंगों की फुलवारी
वो अपने कैनवस को फिर कभी रंगा नहीं करता |
अगर इंसानियत इंसान में आ जाये तो फिर वो ,
किसी की माँ के आँचल को कभी गन्दा नहीं करता |
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