sanjeevani
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मेरे विश्वासों में दम ,
लगता था चोटी पर जा कर परचम लहरा दूं अपना ,
और सत्य कर डालूँ अपनी आँखों में बसता जो सपना ,
कोई रोक न पाया मुझको , था न इरादों में कुछ कम ,
डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम।
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