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परिचय हुआ है |

sanjeevani
sanjeevani
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आज फिर मेरे निकेतन से मेरा परिचय हुआ है |
मैं भटक कर आयी दुनिया देख ली सारी दिशाएं ,
पर  सकल जग में मिली बस वेदनाएं वेदनाएं ,
टूट कर बिखरी बहुत जब दर्द ने चीत्कार मारी ,
कोई न था साथ मेरे थी तनिक संवेदनाएं |
फिर अकेली बेसहारा ढूँढती कोई किनारा
प्रश्न खुद से कर रही थी तब मिला मुझको सहारा ,
आज फिर मेरा प्रिये से प्रेमवश परिणय हुआ है ,
आज फिर मेरे निकेतन से मेरा परिचय हुआ है |
जब किया विश्वास दुनिया पर मिला बस झूठ मुझको ,
प्रेम से परिणय किया तो फिर मिला रणछेत्र मुझको ,
काम , माया , क्रोध के मुझको मिले लाखों पुजारी ,
पर मिला न संत कोई देख ली दुनिया तिहारी ,
आज फिर एक बार सुन शिव ,सत्य का दर्शन हुआ है ,
आज फिर मेरे निकेतन से मेरा परिचय हुआ है |
स्वांस  टूटी आस टूटी , हर मनोरथ चाह रूठी ,
प्रेम की हर डोर टूटी ,तिमिर में हर रात डूबी ,
अश्रु फूटे , अधर रूठे , मौन से संगम हुआ था ,
जब लगा था तुम नहीं प्रिय खुद पे ही कुछ भ्रम हुआ था ,
आज तुम जब साथ फिर से ईश का वंदन हुआ है ,
आज फिर मेरे निकेतन से मेरा परिचय हुआ है |

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