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डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम

sanjeevani
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डग थे छोटे मगर सदा था मेरे विश्वासों में दम

छोटे  छोटे  कदमों  से  हम नापते  थे  आकाश  का  कद ,

मेरे  विश्वासों  में  दम ,
लगता  था  चोटी  पर  जा  कर  परचम  लहरा  दूं  अपना ,
और  सत्य  कर  डालूँ  अपनी  आँखों  में  बसता जो  सपना ,
कोई  रोक  न  पाया  मुझको , था  न  इरादों  में  कुछ  कम ,


डग  थे  छोटे  मगर  सदा  था मेरे  विश्वासों  में  दम।

धरती  अपनी  सी  लगती  थी  , आसमान  को  ओढ़े  थी ,
फूलों  से  थी  दोस्ती  अपनी , तितलियों  संग  खेली  थी ,
सबको  अपना  ही  कहती  थी  , ऐसा  था  ये  भोला  मन ,


डग  थे  छोटे  मगर  सदा  था मेरे  विश्वासों  में  दम ।

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