किसी ने सच ही कहा है
सत्य को सिद्ध करने का प्रयत्न
मात्र मूर्खता है |
क्योंकि सत्य को
किसी “इति सिद्धं” की आवश्यकता नहीं |
और सत्य तो तब ही सिद्द हो सकता है
जब मानव मष्तिष्क
मानना चाहे उसे सत्य |
सौ तर्क वितर्क कुतर्क
रख देता है मनुष्य
एक सत्य को
असत्य सिद्ध करने को ,
पर
रावण को राम की
उपस्थिति तभी समझ आती है
जब मोक्ष की प्राप्ति के लिए
उसे उस युग दृष्टा
को सत्य मान
देह त्याग के पूर्व
भजना ही पड़ता है
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाये |”
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