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सती

sanjeevani
sanjeevani
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तेरे रूप में
सृष्टि
ब्रह्मांड और स्वयं ब्रह्म को पा
हे शिव
मैं पहचान गयी तुम्हे
मन कलयुग में जन्मी
पर फिर भी वही आत्मा है
जो गौरा ने पाई थी
तुमसे अलग नहीं है कुछ अस्तित्व हमारा
इसी कारण
नित्य जपती हूँ
ओम् नमः शिवाय
सत्यम शिवम सुन्दरम |
पर मेरा प्रेम
तुम्हे जीत न सका
और तुम सावित्री का अपमान कर
अहिल्या को पत्थर का छोड़
सीता को कलंकित कर
मुझे पुनः जन्म मृत्यू के
बंधन में छोड़ कर
चले गए |

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