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फिर नयी शुरुआत की है |

sanjeevani
sanjeevani
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फिर नए उत्साह से मैंने नयी शुरुआत की है ,
आज के इस अंशुमान ने नयी प्रभात की है |

है जगे कुछ स्वप्न नयनो के तले जो सो रहे थे ,
और निद्रा की गली में बेवजह ही रो रहे थे ,
आज फिर मेरे ह्रदय ने प्रेम की बरसात की है ,
फिर नयी शुरुआत की है |

पर कटे पंछी हुए थे आसमा को तक रहे थे ,
और अपने भाग्य को हम रोज ताने कस रहे थे ,
आज गुरु के शब्द से मैंने नयी उड़ान ली है ,
फिर नयी शुरुआत की है |

कौन कहता है मुझे अब रोक लेगा विश्व सारा ,
मैं समंदर बन गयी हूँ बांध है और न किनारा ,
आज फिर मैंने मेरी पायल से एक झंकार की है ,
फिर नयी शुरुआत की है |

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